सोशल मिडियासे रोजगारी के बहुत अवसर निर्माण हो रहे है, राजनिति हो याफिर कोई निजी कंपनी अब हर जगह सोशल मिडिया का अलग डिपार्टमेंट बन रहा है| ऐसा लग रहा है की तकनिकी विकास के कारण अब मोबाईल केवल बात करने का जरिया न रहते हुए सब विश्व उसमे समां गया है, और क्यों न हो, मोबाईल रिचार्च करना है तो इंटरनेट, पैसे भेजने हो तो इंटरनेट, कपडे खरीदने हो तो इंटरनेट, यहाँ तक की फिल्म देखनी हो तो भी इंटरनेट सारांश यह है की अब इंटरनेट के बैगर मानो जिंदगी चल ही नहीं पायेगी| कितना सहज कर दिया है हमारा जीवन इस इंटरनेट ने, ना तो लाइन लगाओ नहीं घर के बाहर निकलो हर काम आसान और एकदम सहज कर दिया है| ये तो हुआ आजतक का विकास लेकिन आनेवाले समय में यह तरक्की और कितनी तेज होती है यह तो समय ही बताएगा, और वह दिन दूर नहीं जब हम कार रास्ते की जगह हवा में उड़ाएंगे, हमारे लिए रोबोट काम करेगा, घर के बाहर अल सुबह जब आप घुमने जाएंगे तो रोबोर्ट आपका अंगरक्षक होगा, कितनी प्रसन्नता हो रही है ना यह कल्पना सोचकर! लेकिन क्या आपको पता है की शक्कर कितनी भी अच्छी क्यों न हो लेकिन एक डायबेटिज के मरीज के लिए वह तो जहर के बराबर ही है, सर्दी में अलाव के पास बैठकर जो सुकून आपको मिलता है क्या वह गर्मी के मौसम में मिलता है? बिल्कुल नहीं, सोशल मिडिया भी आज हमको जितना मददगार साबित हो रहा है वही एक दिन हम सबका सिरदर्द साबित हो सकता है| सोशल मिडिया को हमने जिस हद तक अपने जिंदगी में जगह दे रखी है उसी को देखकर तो लगता है की एक दिन हम उसे अपनी जिंदगी से निकालने की लाख कोशिस करेंगे लेकिन कैंसर की तरह जब वह हमारे जानसे खेलेगा तब हम सबको पता चलेगा की हमने किस चीजसे पंगा लिया है| किसी भी चीज को आप सिमित हद तक उसका उपयोग करेंगे तो वह आपके लिए फायदेमंद रहेगा और जब भी सब सीमाए समाप्त होती है तो अंजाम बुरा ही होता है| सोशल मिडिया का इस्तमाल सिमित हद तक किया जाए तो बेशक यह आपके लिए मददगार साबित होगा लेकिन हद से ज्यादा इस में खो जाओगे तो यह एक बीमारी की तरह होगा जिसका इलाज असंभव है|
व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब जैसी पॉप्युलर सोशल मिडिया प्लेटफॉर्म्सपर हर कोई अपने अपडेट्स डालते रहता है| फेसबुकपर किसीने लिखा की हम आज महाबलेश्वर को घुमने जा रहे है, घर वापस आए थो पता चला की चोर तो अपना काम कर गए है| व्हाट्सएपपर आए संदेशसे प्रभावित होकर ग्यारह नहीं बल्कि सौ लोगो को देवता का मेसेज फॉरवर्ड किया लेकिन शाम को कोई भी अच्छी खबर नहीं आई| व्हाट्सएपपर किसीने लिखा की देखो उस समाज के लोग किस तरह हमारे समाजपर अत्याचार कर रहे है तो फिर हमारा खून गर्म हो जाता है, उत्तेजनाए बढती है, उस समाजके प्रति हमारे मन में सत्य देखे बिना जाने बिना शंकाए पैदा होती है| उस समाज का हर व्यक्ति हमको दुश्मन नजर आता है, कोई राजनीती के उपर भली बुरी टिप्पणी करता है तो फिर हम उनके पक्ष के बारे में भला बुरा कहते है| किसीने सही कहा है की ‘जब मै ऑनलाइन रहता हु तब मझे देश, धर्म, एवं राजनीती की फ़िक्र होती है और जैसे ही ऑफ़लाईन होता हु तब बस दो वक्त के रोटी की चिंता होती है,’ कहा जा रहे है हम? ना हम को पता है, ना तुमको पता है, लेकिन उन व्यक्ति को, उन संस्था को, उन संघटन को बराबर पता है की आप कहा जा रहे हो, आपको क्या अच्छा लगता है, आपके कौनसे शौक है, आपका फेवरेट नायक, कपडे, कौनसे है| शोशल मिडियापर आपको एक अदृश्य व्यक्ति हमेशा पीछा करता है..जो आपके लाईक्स, कॉमेंट्स शेयर को देखकर पता लगता है की आप किस तरह के व्यक्ति हो और वह है विज्ञापन फर्म्स, अॅनॅलिटीक्स एक्सपर्ट्स| अॅनॅलिटीक्स एक्सपर्ट्स आप जिस सोशल मिडिया प्लेटफार्मपर अपडेट्स डालते रहते हो उसका अभ्यास कर आपका सोशल मिडिया प्रोफाइल बना लेते है की वह किस तरह का इन्सान है| एक बार आपका प्रोफाइल बना लिया फिर आपको विज्ञापन के जरिए टार्गेट किया जा सकता है, और बाद में आपको पछताना पड़ सकता है.
अगर आप बिजनेसमैन है और आप आपके उत्पादन बढ़ाने के लिए सोशल मिडिया का सही ढंग से उपयोग करना चाहते है तो यकीनन यह फायदेमंद होगा और आपके लिए काफी मददगार और कामयाबी की ओर ले जानेवाला सबब साबित हो सकता है| लेकिन आप सीमाए पार करेंगे तो यक़ीनन आपको इसका परिणाम भुगतनाही है| जरुरी नहीं की सोशल मिडियापर आपके बेटे का नाम क्या रखना चाहिए यह लोगोंसे पूछे, जरुरी नहीं की आपके अपनोंके के अंतिम क्षणों के तस्वीरे शेअर करके लोगो को बताए की आप कितने उदास है, जरुरी यह भी नहीं की आप के नन्हे ने अभी तक ठीक से सांसे लेना भी शुरू किया नहीं और आप गोद में लेकर उसकी तस्वीर सोशल मिडियापर शेअर करे| कहने को बहुत कुछ है फिर भी बात यहापर ख़त्म नहीं होती अगर आप को लगता है की सोशल मिडिया पर क्या शेअर करना है और क्या नहीं यह आपका निजी मामला है तो फिर आपकी मर्जी, लेकिन याद रहे अगर आप असीमित सोशल मिडिया के महासागर में डूब गए तो आपको लगी इस ‘सोशल मिडिया बीमारी’ की दवा शायद ही मिल जाए|
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